Monday, March 23, 2015

चड्डी पहनकर ये फूल पंजाब में खिला है.

बोले तो अब पहली बार पता चला है कि चड्डी पहनकर ये फूल पंजाब में खिला है.

भैय्ये एक नेक काम कर दो और एक बार में बता दो कि आप पैदा कहाँ हुए थे, मगर के साथ कहाँ खेलते थे. चाय कहाँ बेची थी, टीचर कब बने थे. सेना से आपका लगाव कब और कैसे हुआ था. वगैरह..वगैरह..

वैसे जब आपको टीव्ही में भगतसिंह को याद करते देखा तो पहली बार अहसास हुआ की शहीदे आजम वाकई कितना भाग्यशाली था. बोले तो देश के वास्ते शहीद हुआ तो किस्मतवाला तो था ही. आप तो कितनी बार खुद बोला कि देश के वास्ते मरने का मौक़ा तो मिला नहीं, इसलिए देश के वास्ते जियूँगा. अब कैसे जीना है, ये तो अलग अलग आदमी पे अलग अलग डिपेंड करेगा न तो भगतसिंह कुर्बानी देकर आज भी जीता है और आप भी बोले तो ओबामा को इम्प्रेस करने के वास्ते 10 लाख का सूट पहनकर जीता है. बोलो दोनों जिया कि नहीं, जिया न.

तो अपुन भगतसिंह की बात करेला था. वो भाग्यशाली था. देश के वास्ते कुरबानी दिया, इसलिए भाग्यशाली तो था ही, इस वास्ते ज्यादा था कि उसके जमाने में आप पैदा नहीं हुए थे. नहीं तो बोले तो आपका नारा सुनकर तो वो अंग्रेजों के फांसी देने से पहले ही फांसी लगा लेता. कायकू, इस वास्ते कि आप नारा लगाते जो बोले सो निहाल..भगतसिंह आगे बढ़ो, आजादी की पूरी लड़ाई में हम कहीं नहीं.   

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